सार्वजनिक क्षेत्र के विजय बैंक एंव देना बैंक के विलय की योजना को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की मंजूरी प्राप्त हो गयी है। और यह योजना 01 अप्रैल 2019 से प्रभावी होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मन्त्रिमण्डल की 02 जनवरी, 2019 की बैठक में इसका अनुमोदन कर दिया गया है। बैंको के इस विलय के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा देश में भारतीय स्टेट बैंक ऑफ व आईसीआईसीआई बैंक के बाद तीसरा बड़ा बैंक हो जाएगा, जबकि सरकारी बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक के बाद इसका दूसरा स्थान होगा।
सरकारी क्षेत्र के उपर्युक्त तीन बैंकों के प्रस्तावित विलय का बैंक कर्मचारियों द्वारा विरोध किया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह विलय बैंकों व इनके ग्राहकों के हित में नहीं है अपना विरोध व्यक्त करते हुए 21 सरकारी बैंकों सहित 30 बैंकों के 10 लाख से अधिक कर्मचारी 26 दिसम्बर, 2018 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहे थे। उससे पूर्व बैंक अधिकारी भी 21 दिसम्बर को हड़ताल पर रहे थे।
विलय के बाद देना बैंक एंव विजया बैंक का पूरा कारोबार, परिसम्पतियॉ, अधिकार, दावे, टाइटल, लाइसेंस, ऋण तथा अन्य देनदारियॉ एंव दायित्व बैंक ऑफ बडौदा को ट्रासफर हो जायेगें।
विलय के लिए मंजूर की गई शेयर स्वैप स्कीम के तहत् विजया बैंक के शेयर धारकों को इनके प्रति 1000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 शेयर जारी किए जाएंगे, जबकि देना बैंक के शेयर धारकों को उनके प्रति 1000 शेयरों के बदले में बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर दिए जाएंगे।
Admin, 03 June, 2019